श्वेत प्रदर (Leucorrhoea)
परिचय:-
श्वेत प्रदर स्त्रियों को होने वाला एक बहुत ही खतरनाक रोग है। इस रोग से पीड़ित स्त्रियों में ल्यूकोरिया या सफेद पानी आने की शिकायत बहुत मिलती है। यह रोग किसी भी उम्र की स्त्री को हो सकता है। कई बार जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई होती है उनको यह रोग होने पर वह शर्म या दूसरे कारणों से बिना जांच और इलाज कराए इस रोग को अंदर ही अंदर पालती रहती है जिसकी वजह से यह रोग स्त्रियों में और अधिक बढ़ जाता है।
श्वेतप्रदर रोग का लक्षण:-
श्वेतप्रदर रोग का लक्षण:-
इस रोग से पीड़ित स्त्रियों का योनिमार्ग हमेशा थोड़ा बहुत गीला रहता है और यौन उत्तेजना के समय तो ये गीलापन और बढ़ जाता है। स्त्रियों के योनि से सफेद, पीला या फिर मिश्रित रंग का पानी आने के कारण योनि में या योनि के आसपास खुजली हो सकती है। स्त्रियों के गर्भकाल के समय, मासिकधर्म से ठीक पहले या मासिकधर्म बंद होने के बाद यह रोग हो सकता है। स्त्रियों के शरीर में डिम्ब डिम्बाशय से निकलकर डिम्ब-नलिका से होते हुए गर्भाशय की तरफ बढ़ते रहते हैं और पुरुष शुक्राणु के न मिलने के कारण समाप्त हो जाते हैं। इस डिम्ब-निस्कासन और डिम्ब-विर्सजन की अवधि में भी यह गीलापन बढ़ जाता है। इस स्राव को श्वेतप्रदर नहीं कहा जाता और न ही इसके लिए किसी चिंता या चिकित्सा की जरूरत है।
सामान्य श्वेतप्रदर रोग स्त्रियों में बहुत ज्यादा पोषण की कमी और ताकत से ज्यादा थकाने वाले काम करने के कारण होता है। लेकिन कई बार यह रोग दिमागी परेशानी से भी हो सकता है। मधुमेह और लगातार खांसी या दमा रोग होने के कारण भी श्वेतप्रदर हो सकता है। पोषण की कमी न हो तो इस सामान्य श्वेतप्रदर में कमर दर्द की शिकायत नहीं होती, न योनिप्रदेश पर खुजली की, न ही बदबूदार पानी की, चिपचिपा या ज्यादा गाढ़ा होता है। इस रोग के कारण मासिक धर्म बीच-बीच में बंद या कम होकर आ सकता है। लेकिन रोग की गम्भीरता न होने पर भी भोजन और जीवन में सुधार करके डाक्टर से पूछकर टॉनिक आदि लेकर इनसे बचने की कोशिश करें ताकि कमजोरी ज्यादा न बढ़ें और जल्दी इन्फैक्शन न हो। इस रोग से पीड़ित रोगी के हाथ, पैर, कमर, सिर में दर्द, पेशाब में जलन, पेट के निचले भाग में भारीपन, कब्ज, कमजोरी, घबराहट, काम में मन न लगना तथा चलने-फिरने में अधिक थकावट हो जाना आदि समस्या हो जाती है। इस रोग के कारण स्त्रियों का स्वास्थ्य तथा सौन्दर्य नष्ट हो जाता है।
श्वेतप्रदर रोग होने का कारण:-
श्वेतप्रदर खुद में एक रोग न होकर दूसरे रोगों के होने कारण होता है।
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग होने का सबसे प्रमुख कारण पोषण की कमी, शरीर में खून की कमी होने या भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाने के कारण होता है।
स्त्रियों के शरीर में विटामिन, कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग ज्यादा चिंता, थकान वाले काम करने के कारण भी हो सकता है। बहुत अधिक संभोग क्रिया करने के कारण भी श्वेतप्रदर रोग हो सकता है।
जब स्त्रियां जल्दी-जल्दी मां बनती हैं या फिर बार-बार गर्भपात करवाती हैं तब भी यह रोग उन्हें हो सकता है।
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) बच्चेदानी के मुंह पर घाव होने, यौन रोग, सुजाक (गिनोरिया) रोग होने के कारण भी हो सकता है।
शरीर में बहुत ज्यादा दूषित द्रव के जमा हो जाने के कारण भी स्त्रियों को श्वेतप्रदर रोग हो सकता है।
कब्ज बनने, योनि की ठीक से सफाई न करने, रीढ़ की हड्डी से सम्बन्धित रोग होने, शरीर का वजन कम होने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अन्त:स्रावी ग्रंथियों से सम्बन्धित कोई रोग हो जाने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
अधिक चाय, कॉफी, चीनी, नमक, रिफाइंड तेल तथा मसालेदार पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
श्वेतप्रदर रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग होने का सबसे प्रमुख कारण पोषण की कमी, शरीर में खून की कमी होने या भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाने के कारण होता है।
स्त्रियों के शरीर में विटामिन, कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग ज्यादा चिंता, थकान वाले काम करने के कारण भी हो सकता है। बहुत अधिक संभोग क्रिया करने के कारण भी श्वेतप्रदर रोग हो सकता है।
जब स्त्रियां जल्दी-जल्दी मां बनती हैं या फिर बार-बार गर्भपात करवाती हैं तब भी यह रोग उन्हें हो सकता है।
श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) बच्चेदानी के मुंह पर घाव होने, यौन रोग, सुजाक (गिनोरिया) रोग होने के कारण भी हो सकता है।
शरीर में बहुत ज्यादा दूषित द्रव के जमा हो जाने के कारण भी स्त्रियों को श्वेतप्रदर रोग हो सकता है।
कब्ज बनने, योनि की ठीक से सफाई न करने, रीढ़ की हड्डी से सम्बन्धित रोग होने, शरीर का वजन कम होने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अन्त:स्रावी ग्रंथियों से सम्बन्धित कोई रोग हो जाने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
अधिक चाय, कॉफी, चीनी, नमक, रिफाइंड तेल तथा मसालेदार पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी श्वेतप्रदर का रोग हो सकता है।
श्वेतप्रदर रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
स्त्रियों के श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पीकर उपवास रखने तथा इसके बाद फलों के रस का सेवन करने तथा 1 सप्ताह तक बिना पके भोजन का सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को लोहयुक्त पदार्थ तथा कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
1.ताजे आंवले का रस रोजाना सुबह तथा शाम पीने से श्वेतप्रदर रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
2.काले चनों को भूनकर पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी स्त्री को बहुत अधिक फायदा होता है।
3.श्वेतप्रदर रोग से पीड़ित स्त्री को दिन में कई बार नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए लेकिन इस रोग से पीड़ित स्त्री को खटाई से परहेज करना चाहिए।
4.श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए 50 ग्राम भिंडी को लंबी-लंबी काटकर 300 मिलीलीटर पानी में 25 मिनट तक उबालें और फिर इसे छानकर पी लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से ऐसा करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
5.तुलसी को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर फिर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
6.तुलसी की पत्तियों का रस चावल के मांड के साथ प्रतिदिन सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7.प्रतिदिन दूब को पीसकर उसका रस निकालकर या गेहूं के जवारे का रस निकालकर पीने से श्वेतप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
8.सुबह के समय में खाली पेट 3 दिन तक चावल का धोवन पीने से 2 घंटे लगातार 3 से 7 दिन तक चावल का ताजा मांड पीना ज्यादा लाभकारी होता है।
9.पीपल वृक्ष के फलों को दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पुराना से पुराना प्रदर रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
10.नीम के गुनगुने पानी या फिटकरी के पानी में रूई को भिगोकर इस रूई को योनि के अंदर कुछ समय के लिए रखने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
11.एक मुलायम कपड़े की 5-6 तह करके पट्टी बनाकर पानी में इसे भिगोकर और निचोड़कर योनिद्वार पर रख लें। ऐसा प्रतिदिन करने से श्वेतप्रदर का रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
12.स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने के लिए मिट्टी की गीली पट्टी को पेट पर रखना चाहिए तथा एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। सुबह के समय में गर्म ठंडा कटिस्नान करने, शाम के समय में मेहनस्नान करने और धूपस्नान करके सूखा घर्षण करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
13.स्त्रियों को मासिकधर्म के समय में पेट पर मिट्टी की पट्टी करने तथा उपचार के बाद आराम करने और फिर अपनी चिंता, भय और मानसिक तनाव को दूर करने से श्वेतप्रदर का रोग ठीक हो जाता है। इस रोग से पीड़ित स्त्री को अपनी कमर पर रात को सोते समय गीली चादर लपेटने से लाभ मिलता है।
14.श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए सूर्यतप्त हरे रंग की बोतल के पानी को पीना चाहिए। इसके अलावा इस पानी में रूई को भिगोकर प्रतिदिन योनि में रखने से यह रोग ठीक हो जाता है।
15.स्त्रियों के श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं तथा आसन हैं जो इस प्रकार हैं- उज्जायी, भस्त्रिका, मूलबन्ध, नाड़ीशोधन, उडि्डयान बंध, प्राणायाम, सर्वांगासन, हलासन, पदमासन, भुजंगासन, शलभासन, पश्चिमोत्तानासन आदि।
16.इस रोग को ठीक करने के लिए प्रतिदिन स्त्रियों को अपने हाथ की कलाईयों के दोनों तरफ दबाव देना चाहिए। अपने टखनों के नीचे दोनों पैरों पर दबाव देने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को लोहयुक्त पदार्थ तथा कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
1.ताजे आंवले का रस रोजाना सुबह तथा शाम पीने से श्वेतप्रदर रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
2.काले चनों को भूनकर पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी स्त्री को बहुत अधिक फायदा होता है।
3.श्वेतप्रदर रोग से पीड़ित स्त्री को दिन में कई बार नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए लेकिन इस रोग से पीड़ित स्त्री को खटाई से परहेज करना चाहिए।
4.श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए 50 ग्राम भिंडी को लंबी-लंबी काटकर 300 मिलीलीटर पानी में 25 मिनट तक उबालें और फिर इसे छानकर पी लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से ऐसा करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
5.तुलसी को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर फिर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
6.तुलसी की पत्तियों का रस चावल के मांड के साथ प्रतिदिन सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7.प्रतिदिन दूब को पीसकर उसका रस निकालकर या गेहूं के जवारे का रस निकालकर पीने से श्वेतप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
8.सुबह के समय में खाली पेट 3 दिन तक चावल का धोवन पीने से 2 घंटे लगातार 3 से 7 दिन तक चावल का ताजा मांड पीना ज्यादा लाभकारी होता है।
9.पीपल वृक्ष के फलों को दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पुराना से पुराना प्रदर रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
10.नीम के गुनगुने पानी या फिटकरी के पानी में रूई को भिगोकर इस रूई को योनि के अंदर कुछ समय के लिए रखने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
11.एक मुलायम कपड़े की 5-6 तह करके पट्टी बनाकर पानी में इसे भिगोकर और निचोड़कर योनिद्वार पर रख लें। ऐसा प्रतिदिन करने से श्वेतप्रदर का रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
12.स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने के लिए मिट्टी की गीली पट्टी को पेट पर रखना चाहिए तथा एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। सुबह के समय में गर्म ठंडा कटिस्नान करने, शाम के समय में मेहनस्नान करने और धूपस्नान करके सूखा घर्षण करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
13.स्त्रियों को मासिकधर्म के समय में पेट पर मिट्टी की पट्टी करने तथा उपचार के बाद आराम करने और फिर अपनी चिंता, भय और मानसिक तनाव को दूर करने से श्वेतप्रदर का रोग ठीक हो जाता है। इस रोग से पीड़ित स्त्री को अपनी कमर पर रात को सोते समय गीली चादर लपेटने से लाभ मिलता है।
14.श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए सूर्यतप्त हरे रंग की बोतल के पानी को पीना चाहिए। इसके अलावा इस पानी में रूई को भिगोकर प्रतिदिन योनि में रखने से यह रोग ठीक हो जाता है।
15.स्त्रियों के श्वेतप्रदर रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं तथा आसन हैं जो इस प्रकार हैं- उज्जायी, भस्त्रिका, मूलबन्ध, नाड़ीशोधन, उडि्डयान बंध, प्राणायाम, सर्वांगासन, हलासन, पदमासन, भुजंगासन, शलभासन, पश्चिमोत्तानासन आदि।
16.इस रोग को ठीक करने के लिए प्रतिदिन स्त्रियों को अपने हाथ की कलाईयों के दोनों तरफ दबाव देना चाहिए। अपने टखनों के नीचे दोनों पैरों पर दबाव देने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।