Saturday 17 September 2016

पानी कैसे पिए ? इस तरीके को क्यों सबसे सही तरीका माना जाता है

 
पानी कैसे पिए ? इस तरीके को क्यों सबसे सही तरीका माना जाता है

       पानी कैसे पिए ? हमारे यहाँ पानी पीने के बहुत तरीके हैं । लोटा होठों से लगाया, गटगटगट उतार दिया, गिलास मुह से लगाया, बोतल मुह से लगाईं और पी गए| बागवट जी कहते है पानी पीने का ये तरीका बिल्कुल गलत है । वो कहते है कि पानी को चुस्कियां ले-लेकर पीयो, घूँट-घूँट भर के पानी पिए। सीप सीप ले-लेकर पानी पिए, ऐसे पानी पीने को बोला है । जैसे आप गरम दूध् पीते है न, बागवटजी बिल्कुल उसे समक्ष रखते है । गरम दूध् आप जैसे सीप-सीप लेकर, घूँट-घूँट भर के पीते है, वैसे ही पानी पिए। अब ये क्यों ? ये समझ लेते है ।
      आप एकसाथ इतना पानी उतार रहे है गले के नीचे और एक-एक घूँट पानी उतारे गले के नीचे दोनों में जमीन आसमान का अंतर है । अंतर ये है कि मै आपको एक महत्व की बात समझाना चाहता हूँ वो जन्मभर याद रहे तो आपके लिये बहुत अच्छा । हमारे पेट में भोजन को पचाने के लिए अग्नी होती है । और इस अग्नी को तीव्र करने के लिए एसिडिक अमल होता है । आप जानते है, पेट में अम्ल बनता है और भगवान ने ऐसी व्यवस्था की है, कि जब पेट में अम्ल बनता है तो मुँह में रस बनता है, जिसको लार कहते है, लार..लाळ, सलायव्हा, लालारस अलग-अलग नामों से आप उसे जानते है । ये है क्षार। आप थोडा भी अगर विज्ञान जानते है तो आप जानते है की क्षार और अमल को मिलाओ तो हो जाता है न्यूट्रल, मतलब कि सामान्य जोकि एक लवण होता है। तो अमल और क्षार जिस समय मिलते है तो न्यूट्रल होते है । अमल का मतलब है जिसका Ph 7 से कम है और क्षार का मतलब है जिसका Ph 7 से ज्यादा है । और न्यूट्रल का मतलब है जिसका 7 है ये जो पानी है ना पानी ये ना अमल है, ना क्षार है, न्यूट्रल है
          बागवटजी कहते है कि पेट आपका अक्सर पानी के जैसा रहे तो अच्छा । और जिनका पेट पानी के जैसा माने पेट की अम्लता ना बढे, जिनका क्षारपण भी ना बढे Ph 7 के आसपास रहे तो बागवटजी कहते है ऐसे व्यक्ती को 100 से ज्यादा वर्ष जीने की पूरी गारंटी है, बिना एक भी दवा खाये और बिना चिकित्सक के पास जाये । अब आपके पेट मे अमल बन रहा है, मुँह मे लार बन रही है अगर पानी आप घुट घुट भर पी रहे है तो पानी के साथ ये लार मिलके अंदर जाती है । और पानी एकसाथ गटगटगट पीते है तो कम लार पानी के साथ लार मिलकर अंदर जाती है । ये लार बन रही है अंदर जाने के लिए बाहर निकलने के लिए नही । क्योंकि अंदर पेट के अमल को रखना है इसके लिए क्षार है । तो ये घुट-घुट सीप-सीप लेकर आपने पानी पिया तो ज्यादा लार अंदर जाएगी तो अमल को शांत करने मे मदत आएगी। इसलिए आपका पेट न्यूट्रल रहेगा और आपकी जिंदगी बिना किसी दवा और रोग के आराम से 100-150 साल हो जाएगी। इसलिए पानी घुट भर भर के पीये । और एकसाथ गटगट पानी पीयेंगे तो लार पानी के साथ मिल नहीं पाएगी तो अंतिम रूप मे वो पानी तो खाली पानी होगा और वो उतना न्यूट्रलाईज नहीं कर पायेगा, पेट को सामान्य अवस्था मे नहीं ला पाएगा। हालात की, पानी भी अमल को कम करता है क्योकि अमल में पानी मिले तो अमल की ताकद कम होती जाती है। पानी तो कम करेगा वो बिल्कुल अद्भूत होगा|        
      बागवट जी आगे ये कहते है कि जो व्यक्ति सीप सीप लेकर पानी पीये वो देखे जानवर कैसे पीते है चिडिया कैसे पानी पीती है? एक ड्रॉप उठाती है फिर उसको ऐसे मुह मे चलाएगे फिर पीयेगी फिर दूसरी ड्रॉप उठाएगी फिर ऐसे ऐसे चलाएगी फिर पियेगी । ऐसे ही कुत्ता है पानी को चाट चाट के पीयेगा, शेर पानी को चाटचाट के पीयेगा, ज्यादातर जानवर ऐसे ही पीते है वो जानवर हमसे ज्यादा स्वस्थ होते है। किसी को डायबिटीस नही है। कोई ओव्हरवेट नहीं है। किसी को पेन/दर्द नहीं क्योंकि वो पानी को पीने का नियम जानते है । बागवट के पक्के चेले है ये सब जानवर। बिना बोले और बिना सुने वो आप भी हो जाईए । बागवट जी कहते है पानी थोडा लिजिए जैसा चिडिया पीती है उसको चिडिया मुह में ऐसे ऐसे घुमाती है तो आप भी पानी को थोडा घुमाईये फिर पीजीए । थोडा पानी लिजीए मुह में घुमाईये फिर पीजीए बाद मे इधर -उधर का सब लार अंदर जाए। अब वो ये कहते है की कोई रोग आने की संभावना नही है । 
         आप कहेंगे की ये चक्कर क्या है? तो  सीधी सी बात है  जो लार है ना, ये दुनियां की सबसे अच्छी ओषधि है । इसकी मेडिशनल प्रॉपर्टी सबसे जादा है । आप ने जनावरो को देखा होगा उन्हे कभी कोई चोट लगी तो वो आपने लार से ये ही ठीक कर लेते है । क्योकि उसमे मेडिसीन है । वो मनुष्य की लार मे भी है । भारत के वो मनुष्य बहुत ही दुर्भाग्य शाली है तो इस लार को अंदर ले नही जा पाते जैसे तंबाखू खाने वाले लोग थुंकते ही रहते है । गुटखा, मावा खाने वाले लोग थुंकते ही रहते है। डॉक्टर कहते है कि वो जिंन्दगी के सबसे महत्वपूर्ण चीज को थूँक रहे है जिसको बनाने के लिए भगवान ने एक लाख ग्रंथियां आपके मुह मे दी है । आप जानते है ये लार तैयार होने में एक लाख ग्रंथियों का काम होता है । ये ग्रंथियां दिन रात लार बनाती है ये बहुत ही कीमती है इसका औषधीय गुण बहुत ज्यादा है, और आप उसको थूँकते ही रहते है, आप सडक तो खराब करते ही है । साथ में अपने आपको उससे ज्यादा खराब करते है, तो मेरी हाथ जोड करके विनंती है कि आप मे से कोई लार थूँकने वाला हो, थूँकने वाला आदमी ये तो बागवटजी के डिक्शनरी मे नहीं है । वो कहते है कि एक ही कंडीशन मे आप थूक सकते है जब कफ बहुत बडा हुआ हो । उसके अलावा दुसरी कोई कंडीशन नहीं की आप थूँके । तो यहा तो बिना कफ बडे तंबाखू गुटखा थूँकते रहते है ये थूँकने नुकसानदायक तो है ही तंबाखू गुटखा भी नुकसानदायक है ओर उससे भी ज्यादा नुकशानदायक थूकना। फिर आप कहेगे जी पान खाये तो । पान खाने का भी नियम बताया है बहुत माइक्रो लेवल पर कॅल्क्युलेशन है बागवटजी का ! वो कहते है की पान खाओ तो कथ्था मत लगाओ बीना कथ्थे का पान खाओ थूकने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कथा है तो थूकना पड़ेगा इसलिये कथा लगाओ ही मत|  जो भी खाओगे वो चुना है, क्लॅशिअम है अंदर जायेगा । और वो क्लॅशिअम क्या क्या अद्भूत काम करने वाला है वो आप दुसरे पोस्ट में देख सकते है| हमारे पुराने बुजुर्ग जो तंबाखू या कथ्थे का नही सिर्फ चुना लगाके पान खाते है  वो बागवट के चेले है शिष्य है सबके सब । तो पान भी खाएँ तो थूँकना नहीं लार के साथ पान अंदर जाना चाहिए क्योकि एक है वातनाशक और दुसरा है पित्तनाशक । और कफ का नाश पान करता है और चुना वात का नाश कर देता है तो वात पित्त कफ तीनों ही संतुलित है । तो पान खाकर जिंदगीभर निरोगी रह सकते है