Sunday, 21 August 2016

सीपीआर से मृत व्यक्ति को किया जा सकता है जिंदा !!!

 

     सीपीआर से मृत व्यक्ति को किया जा सकता है जिंदा, सभी को सीखनी चाहिए यह तकनीक: डॉ. के.के. अग्रवाल

नई दिल्ली। महान पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद हनीफ के क्लीनिकली मौत हो जाने के छह मिनट के अंदर उन्हें दोबारा होश में लाया गया, लेकिन उम्र से जुड़ी समस्याओं की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका। उन्हें सीपीआर के जरिए दोबारा जिंदा किया गया था। यह सीखना बहुत आसान है, कोई भी कर सकता है।
       इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि 40 प्रतिशत अकस्माक कार्डियक के मामलों में सीपीआर-10 के जरिए पीड़ित को होश में लाया जा सकता है और बिजली के झटके वाली मशीन के जरिए इसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
 
    सभी सार्वजनिक स्थानों पर यह एईडी मशीनें लगाई जानी चाहिए और बड़े स्तर पर हैंड्स ओनली सीपीआर 10 ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
 
     अलग अलग कम्पनी के  AED मशन नीचे फोटो मै है ।
 
          पिछले दो सालों में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों सहित दिल्ली के सभी पुलिस पीसीआर वैन कर्मियों को यह ट्रेनिंग आईएमए के सहयोग से दे दी है।
अकस्मात दिल का दौरा देश में पहले नंबर का जानलेवा दौरा है जो हर साल लगभग 25 लाख लोगों की जान ले लेता है।
     दिल्ली इकनॉमिक सर्वे के मुताबिक, शहर में 150 से 250 मौतें होती हैं। इनमें से 25 से 45 मौतें अचानक होती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम सब हैंड्स ओनली सीपीआर-10 तकनीक सीखें। सीखने में बहुत आसान और सरल हैंड्स ओनली सीपीआर-10 में मुंह से मुंह में सांस देने की जरूरत नहीं होती।
       डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हैंड्स ओनली सीपीआर-10 याद रखनी बेहद सरल है और किसी की जान बचाने में मदद कर सकती है। इसमें मुंह से मुंह में सांस देने की जरूरत नहीं होती, बशर्ते मरीज की मौत डूबने से हुई हो या वह छोटा बच्चा हो।
      हमें याद रखना है कि 10 मिनट के अंदर कम से कम 10 मिनट के लिए छाती के बीचों बीच 10 गुना 10 यानी 100 बार प्रति मिनट की रफ्तार से दबाते रहें। दबाना तभी बंद करें जब मरीज दोबारा सांस लेने लगे या एंबुलेंस आ जाए।
      ऐसे मौके पर पहले कुछ मिनट पीड़ित के लिए बेहद अहम होते हैं, क्योंकि जितना वक्त गुजरता जाएगा, उसके बचने की संभावना उतनी कम होती जाएगी। इसलिए वक्त बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए और अगर मरीज की नब्ज और सांस न चल रही हो तो छाती को तुरंत दबाना शुरू कर देना चाहिए।
      पहले मिनट में हैंड्स ओनली सीपीआर 10 देने से 90 प्रतिशत मरीजों की जान बचाई जा सकती है। लोगों को सब्र रखना चाहिए और छाती दबाना तब तक रोकना नहीं चाहिए, जब तक सामने वाला होश में न आ जाए।
      वे मरीज, जिन्हें हायपोथर्मिया हो या जिनके शरीर का तापमान 35 डिग्री से कम हो, उन्हें ठीक होने में घंटा भी लग सकता है। इसलिए कि जब उनका तापमान सामान्य होगा, तभी सीपीआर कारगर होगा।
      पौराणिक दस्तावेजों में इस बात के प्रमाण मिलते हैं, जब नवजात जन्म लेते ही हायपोथर्मिया से मृत घोषित कर दिए गए, लेकिन श्मशान भूमि की गर्मी से वह जीवित हो गए। छाती पर दबाव भी यही काम करता है।
      यह याद रखना जरूरी है कि हैंड्स ओनली सीपीआर-10 केवल सख्त सतह पर लेटाकर ही किया जाना चाहिए। मरीज का चेहरा छत की ओर करके फर्श पर लेटा दें। सीपीआर करने वाला घुटनों के बल बैठे, कोहनियां सीधी रखे और हाथों की कड़ी बना ले।